कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम सबके सामने है.किसी भी दल को वहाँ की जनता ने स्पष्ट जनादेश नहीं दिया .लेकिन, बीजेपी लगभग बहुमत के आकड़े चुमते –चुमते रह गई और सबसे बड़े दल के रूप में ही भाजपा को संतोष करना पड़ा है. कौन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा ? इस खंडित जनादेश के मायने क्या है ? क्या कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को खारिज़ कर दिया ? ऐसे बहुतेरे सवाल इस खंडित जनादेश के आईने में खड़े हो थे. सरकार बनाने के लिए तमाम प्रकार की जद्दोजहद कांग्रेस और जेडीएस ने किया किन्तु कर्नाटक की जनता ने बीजेपी को जनादेश दिया था इसलिए राज्यपाल ने संविधान सम्मत निर्णय लेते हुए बी.एस यदुरप्पा को सरकार बनाने का न्यौता भेजा. राज्यपाल के निर्णय से बौखलाई कांग्रेस आधी रात को सुप्रीम कोर्ट की शरण में गई लेकिन, उसे वहां भी मुंह की खानी पड़ी. खैर,बृहस्पतिवार की सुबह यदुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.राज्यपाल के निर्देशानुसार पन्द्रह दिन के भीतर उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा,फिलहाल अगर कर्नाटक की राजनीति को समझें तो बीजेपी के लिए यह बहुत कठिन नहीं होगा.क्योंकि जेडीएस और कांग्रेस के बीच हुए इस अनैतिक गठबन्
इस ब्लॉग के माध्यम से लोगो तक अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त कर आपके सामने परोसना है ,विचारो में मतभेद होते हैं और होने भी चाहिएं .आप हमेशा एक तर्कपूर्ण बहस के लिए आमंत्रित है .. स्वागत है ..बंदन है .....अभिनंदन है .......