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Showing posts from April, 2018

महाभियोग पर कांग्रेस का महाप्रलाप

सात विपक्षी दलों द्वारा मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ़ दिए गए महाभियोग नोटिस को उपराष्ट्रपति ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि मुख्य न्यायधीश के ऊपर लगाए गए आरोप निराधार और कल्पना पर आधारित है. उपराष्ट्रपति की यह तल्ख़ टिप्पणी यह बताने के लिए काफ़ी है कि कांग्रेस ने  किस तरह से अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए महाभियोग जैसे अति गंभीर विषय पर अगम्भीरता दिखाई है. महाभियोग को अस्वीकार करने की 22 वजहें उपराष्ट्रपति ने बताई हैं. दस पेज के इस फ़ैसले में उपराष्ट्रपति ने कुछ महत्वपूर्ण तर्क भी दिए हैं. पहला, सभी पांचो आरोपों पर गौर करने के बाद ये पाया गया कि यह सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मामला है ऐसे में महाभियोग के लिए यह आरोप स्वीकार नहीं किये जायेंगे. दूसरा, रोस्टर बंटवारा भी मुख्य न्यायधीश का अधिकार है और वह मास्टर ऑफ़ रोस्टर होते हैं. इस तरह के आरोपों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ठेस पहुंचती है. तीसरा, इस तरह के प्रस्ताव के लिए एक संसदीय परंपरा है. राज्यसभा के सदस्यों की हैंडबुक के पैराग्राफ 2.2 में इसका उल्लेख है, जिसके तहत इस तरह के नोटिस को पब्लिक करने की अनुमति नहीं है,