कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में पलक की भूमिका निभाने वाले हास्य
कलाकार किकू शारदा को हरियाणा पुलिस ने भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर
लिया.कुछ देर बाद एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत भी मिल गई. दरअसल ये केश डेरा
सच्चा सौदा के प्रमुख, संत राम रहीम सिंह के मजाक उड़ाने के बाद उनके भक्तों ने
किकू शारदा समेत नौ लोगो के खिलाफ केश दर्ज करा दिया था.गौरतलब है कि एक शो के
दौरान किकू शारदा संत राम रहीम के गेटअप मे थे और लड़कियों के साथ डांस कर रहे
थे.ये बात राम रहीम के समर्थको को नागवार गुजरी जिसके फलस्वरूप संत राम रहीम के समर्थको
ने उक्त कार्यवाही की.गिरफ्तारी के चंद घंटे बाद ही किकू शारदा को बेल मिल गई.किकू
की गिरफ्तारी के मामले को समझे तो इसमें कई बातें सामने आती है,आज कल चंद लोग खुद
की भावनाओं को हाथो में लेकर चलने लगें है.कब किसकी भावनाएं आहात हो जाएँ किसी को
नही पता है तथा न ही भावनाओं का कोई मानक है,जिसको ध्यान में रखते हुए कोई अभिनेता
अपना अभिनय करें.किसी हास्य अभिनेता के साथ इस तरह का व्यवहार करना निहायत ही गलत
है.इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम होगी.भारत में हास्य अभिनेता अपने अभिनय के द्वारा
जनता को हंसाने का काम करते आएं है.ये पहली बार नही है जब किसी व्यक्ति का मजाक
उड़ाया गया हो.हम कई दशकों से देखते आएं है कि हास्य अभिनेता किसी का भी मजाक उड़ाने
से हिचकते नही है,परन्तु उनकी मंशा कतई किसी की भावना को ठेस पहुँचाना नही रहता
है,वो तो केवल अपनी बातों के द्वारा हंसी पैदा करते है.दरअसल हास्य कलाकार इस देश
के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत कई बड़ी हस्तियों को अपने मजाक के दायरे में
लाने से तनिक भी नहीं हिचकिचाते लेकिन हमने ऐसा कभी नही देखा कि उनकी भावना को ठेस
पहुंचा हो,जिसका सीधा कारण हमारे देश में विद्यमान उदारता और सहिष्णुता है.मेरा मनाना है कि भावनाएं व्यक्तित्व
पर भी निर्भर करती है,जिस व्यक्ति का व्यक्तित्व जितना बड़ा रहेगा उसकी भावनाओं का
दायरा भी उतना ही बड़ा होगा. हमे हास्य अभिनय को कदापि कभी भावना से नही जोड़ना चाहिए
क्योंकि कोई कलाकार दुर्भावना से किसी व्यक्ति की मिमिक्री नही करता है.जाहिर है
कि जनता भी हास्य अभिनय का पूरा लुफ्त उठती है.वर्तमान समय में हास्य अभिनय ने
लोगो के दिलों को छुआ है.जिसके कारण हास्य की लोकप्रियता में भारी इजाफा हुआ है.हमने
कई हास्य कलाकारों को देखा है.जो हास्य के द्वारा बुलंदियों को छुए है और लोकप्रिय
भी रहें है.उनके साथ कभी ऐसा बर्ताव नही हुआ.हास्य के लिए जाँनी लीवर को कौन भूल
सकता है.जिन्होंने ने अपने हास्य कला के बल पर फ़िल्म इंडस्ट्रीज में न शिर्फ अपने
आप को स्थापित किया बल्कि साथ –साथ खूब लोकप्रियता बटोरी.हमारे पास ऐसे सैकड़ो
उदाहरण मौजूद है.जिन्होंने हास्य अभिनय के माध्यम से लोगो को गुदगुदाने का काम
किया है.हास्य अभिनय पर केश दर्ज करा के बाबा राम रहीम के भक्तों ने एक निम्न
दर्जे की भावना का परिचय दिया है.बहरहाल शिकायत के बाद उस प्रस्तुती को लेकर किकू
शारदा ने हाथ जोड़ कर माफी भी मांग ली है.संत राम रहीम ने भी किकू के माफी मांग
लेने के बाद से कोई शिकायत न होने की बात कही है. अब शिकायतकर्ता अपनी शिकायत वापस
लेते हैं कि नही ये बाद की बात होगी.
गिरफ्तारी के तुरंत बाद किकू शारदा की गिरफ्तारी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने
लगी.कई फिल्मी कलाकार किकू में समर्थन में ट्विट किये तथा किकू की गिरफ्तारी को
गलत बताया.लेकिन तथाकथित सेकुलर लोग इसे अभिव्यक्ति पर हमला बता फिर से असहिष्णुता
का राग अलापने लगे है.सनद रहे ये वही लोग है जो कुछ रोज़ पहले मालदा में हुई
असहिष्णुता पर इन्हें सांप सूंघ गया था.ये वही लोग है,जो नरेंद्र दालोभकर और
गोविंद पानसरे की हत्या के समय मौन धारण किये हुए थे.उस वक्त इन्हें अभिव्यक्ति की
चिंता नही थी और ना ही उस वक्त इन लोगो कहीं असहिष्णुता दिखाई दे रही थी.मालदा
हिंसा को लेकर कथित धर्मनिरपेक्ष विरादरी ने ममता सरकार से एक भी सवाल पूछना वाजिब
नही समझा पर आज हरियाणा सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहें है.अखलाक की हत्या के बाद
भी इन लोगो ने राज्य सरकार की बजाय सीधे केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया
था.सवाल उठता है कि क्या ये लोग महज एक विचारधारा के विरोधी है ? ये इसलिए क्योंकि
अगर किकू शारदा की गिरफ्तारी के लिए हरियाणा सरकार दोषी है तो, एखलाख की हत्या के
लिए केंद्र सरकार दोषी कैसे ?ये लोग हमेसा से चयनित विरोध करते आएं है तथा विरोध
के लिए दोहरा मापदंड अपनाते आएं है.जो इनके कथित धर्मनिरपेक्षता को बेनकाब कर दिया
है.दूसरा सवाल कि क्या किकू शारदा की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति पर हमला है ?दूसरे सवाल
की तह में जाएँ तो ऐसा बिल्कुल नही है.हमारे लोकतंत्र ने हमे ये आज़ादी दे रखी है
कि हम संविधान सम्मत जो करना चाहें कर सकतें है.एक साधारण बात समझना चाहिए कि किकू
शारदा ने एक मिमिक्री किया.जिससे किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचा,उसने
मामला दर्ज कराया.इसके पश्चात् किकू शारदा को एक साधारण क़ानूनी प्रक्रिया के तहत
उन्हें गिरफ्तार किया गया.इसके बाद जमानत दे दी गई तथा जब- तक शिकायत वापस नही
होती उन्हें अदालत के अनुसार आगे भी ऐसी प्रकिया से गुजरना पड़ेगा.इसमें इतना हो –हंगामा
क्यों किया जा रहा है ये समझ से परे है. बहरहाल,आज के माहौल में
किसी भी कलाकर को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे अभिनय से सभी मुस्कुराये
किसी की भी भावनाएं उनके अभिनय से आहात न हो तथा हमे भी हमेसा हास्य को हास्य की
नजर से ही देखना चाहिए न कि उस पर भावनाओं का चश्मा लगा कर.
भारत माता की जय के नारे लगाना गर्व की बात -: अपने घृणित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी इनदिनों फिर से चर्चा में हैं.बहुसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए ओवैसी बंधु आए दिन घटिया बयान देते रहतें है.लेकिन इस बार तो ओवैसी ने सारी हदें पार कर दी.दरअसल एक सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि हमारे संविधान में कहीं नहीं लिखा की भारत माता की जय बोलना जरूरी है,चाहें तो मेरे गले पर चाकू लगा दीजिये,पर मै भारत माता की जय नही बोलूँगा.ऐसे शर्मनाक बयानों की जितनी निंदा की जाए कम है .इसप्रकार के बयानों से ने केवल देश की एकता व अखंडता को चोट पहुँचती है बल्कि देश की आज़ादी के लिए अपने होंठों पर भारत माँ की जय बोलते हुए शहीद हुए उन सभी शूरवीरों का भी अपमान है,भारत माता की जय कहना अपने आप में गर्व की बात है.इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि अपने सियासी हितो की पूर्ति के लिए इस हद तक गिर जाएँ कि देशभक्ति की परिभाषा अपने अनुसार तय करने लगें.इस पुरे मसले पर गौर करें तो कुछ दिनों पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भाग
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