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पाकिस्तान पर अपना रुख स्पष्ट करें मोदी


    
पाकिस्तान दिवस के मौके पर भारत  सरकार के विदेश राज्य  मंत्री वीके सिंह के शिरकत से मोदी सरकार फिर सवालों के घेरे में आई गई है.वीके सिंह को इस आयोजन में जाने की घटना को कमतर नही आकां जा सकता,इससे पहले भी पाकिस्तान उच्चायोग  ये आयोजन करता आया है इसमें  हुर्रियत नेताओं का आना तो आम बात है पर, मोदी सरकार  के मंत्री का पहुंचना कहीं न कहीं पाकिस्तान के प्रति मोदी सरकार के दोहरे रवैये को दर्शाता है.इससे पहले एक घटना याद आती है जब यही मोदी सरकार विगत वर्ष १८ अगस्त को ये साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान हुर्रियत नेताओं से बात करना चाहता है तो ,उन्हीं से करे और भारत सरकार ने अपनी तरफ से बातचीत  के दरवाजे बंद कर दिए. मोदी सरकार  को पाकिस्तान के प्रति अपने रवैये को स्पष्ट करना चाहिए.क्योकिं पाकिस्तान अपने दगाबाजी से बाज़ नहीं आने वाला.जिस मंच पर भारत सरकार के मंत्री मौजूद थे.उसी मंच पर अलगाववादी संगठनों ने नेताओं का भी भव्य स्वागत हो रहा था.भारत सरकार के मंत्री जो सेनाध्यक्ष भी रहा हो उसे इस मंच पर जाना शोभा नहीं देता,ध्यान देने वाली बात ये भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान के वजीरे आलम नवाज़ शरीफ को फोन पर पाकिस्तान दिवस की बधाई दी.अब ये सवाल मन में आता हैं कि मोदी सरकार की पाकिस्तान के प्रति कोई नीति है भी या नहीं, एक तरफ सरकार आतंकवाद और बातचीत एक साथ न होने का दावा की करती हैं तो वहीँ मोदी की पाकिस्तान के प्रति सहृदयता का ये पुख्ता प्रमाण है कि जब केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार बनी तभी से मोदी लगातार भारत –पाक संबंधो में मधुरता लाने की बात कर रहे है चाहें को शपथ ग्रहण समारोह में  नवाज़ शरीफ बुलाना हो या पाकिस्तान उच्चायोग को अलगाववादीयों से मिलने की छुट.परन्तु मोदी को ये भी ध्यान रखना होगा कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज़ नहीं आ रहा हैं. जम्मू –कश्मीर में लगातार आतंकवादी हमले हो चुके है यहाँ तक कि पाकिस्तान ने इसकी निंदा तक नहीं की फिर भी मोदी सरकार के मंत्री का जाना कहीं न कहीं मोदी सरकार के दोहरे रवैये को बताता है.सरकार ने इस मसले पर अपना तर्क रखते हुए इसे राजनयिक शिष्टाचार बताया पर ध्यान देना होगा कि पाकिस्तान ने कभी कोई शिष्टाचार नहीं निभाया है. पाकिस्तान के प्रति  ये मोदी सरकार कि  ये नरमी किस कारण आई है,गौरतलब है कि  चुनाव के समय मोदी पाकिस्तान पर खुलकर हमले कर रहे थे और इस मसले पर कांग्रेस से सवाल कर रहे थे,अब मोदी की ये नीति मनमोहन सिंह से नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की तरह है .लेकिन मोदी हमेशा अपनी सरकार को हर सरकार से अलग होने का दावा करती है.बहरहाल, दशको बाद भारत –पाक नीति से परेसान लोगो को एक उम्मीद की किरण नजर आई थी लोग ये मानने लगे थे कि अब पाकिस्तान को  अब उसी की भाषा में ये सरकार जबाब देगी मगर ऐसा होता अब नहीं दिख रहा. अगर ये भारत सरकार की कुटनीति का कोई नया अध्याय है तो इसे सरकार को जनता के समक्ष रखना चाहिए.



आदर्श तिवारी

  

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